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Thursday, June 30, 2011

नमस्कार नमस्कार....  हिंदी सिनेमा साहित्य का ये  छोटा सा लेखक आप सभी का नमस्कार स्वीकार करता है!!!!              जैसा की समय समय पर इस सिनेमा साहित्य में अनेक परिवर्तन हुए है जिनसे आज कोई भी  अनजान नही है बहुत लम्बे समय के गहन मनन चिंतन के बाद आज हम हाजिर हुए है सदी के महान नायक
  " इमरान हासमी"  की  फिल्मी जीवनी  लेकर....
                            ये नायक अपनी नारी प्रधान फिल्मो एवं रासलीला की वजह से आज कल के नवयुवको का सबसे बड़ा प्रेरणा श्रोत बन गये  है| इनके समकक्ष नायको को ही ले लें ,कोई भी इनकी बराबरी नही कर सकता| जितना प्यार और ### ये अपनी नायिकाओं को अपनी फिल्मो में देते है उतना और कोई भी नही | फिल्मो के गानों में जिस तरह से अपनी प्रेयसी को ये महत्ता देते है, कोई कह  सकता है भला की आज लड़का और लड़की बराबर नहीं है?अब आप once upon a time in mumbai के  गाने  " pilu teri neeli neeli ankhon se...." को ही ले लीजिये ... अहा....किस तरह से नारी को एक जलश्रोत माना गया है ,वहीँ दूसरी ओर जन्नत(फिल्म jannat ) का दर्जा दिया गया है| एक और गाना जिसमे इन्होने प्रेयसी से सुबह तक प्यार करने (फिल्म murder) का वादा किया है ,ये आज के युवको द्वारा की जाने वाली  घरेलु हिंसा रोकने की दिशा में  एक सफल प्रयास है|
                        ये तो हुयी गानों की बात...अब चलते है फिल्म निर्माण  के बजट की ओर.... जहाँ आजकल की नायिकाएं फिल्मो में अपने कपड़ो को लेकर निर्माता का इतना पैसा खर्च करवाती है वहीँ इमरान जी की फिल्मे इन सब झंझटो से मुक्त होती है|साथ ही नारी प्रधान फिल्मो की ओर लोगो का ध्यान आकर्षित करने के लिए इनकी फिल्मो में सदैव एक से अधिक नायिकाओं को जगह मिलती है|
                    समय ऐसा ही चलता रहा तो इस नायक की इस तरह की फिल्मो को हमेशा ऐसी सराहना मिलती ही रहेगी,क्योंकि न ही युवक वर्ग न युवती वर्ग इनकी अटूट प्रेम कहानियों वाली फिल्मी सफ़र से अछूते है |

       
                       
                              

Wednesday, March 23, 2011

my first poetry written in 2nd year

                      खोल दो पर सारे की,
                    आज उड़ने को मन करता है
                       जो न किया अब तक,
                  वो सब करने को मन करता है

           थी चंद नुमाइशें बंद मन के द्वार से;
        फड़फड़ा कर बंदिशे तोड़ने को कहती है .
           थी दामन में बंधी कुछ ख्वाहिशों की गांठें
         लहराले आँचल, गाँठ खोलने को कहती है
                                 उड़ मुक्त गगन में आसमान को छुकर,
                                  फिर न वापस आने को मन करता है
                                  वो सब करने को मन करता है .

            निभा रहे है अब तक दुनिया के रस्मो रिवाज,
              वही चहचहता दिन बोझिल शामें फिर आएगी
           कभी तो जी ले जी भर के बस अपने लिए,
               रुत ये दो पल की तेरे लिए न कल आएगी .
                               बहकर सरिता की धार में,
                              सागर से मिलने को मन करता है
                              वो सब करने को मन करता है
                                वो सब करने को मन करता है.